मसूरी । इन दिनों मसूरी झड़ीपानी ट्रैकिंग रूट पर ओल्ड राजपुर टोल चेक पोस्ट के करीब आर.सी.सी का एक विशालकाय दो मंजिला होटलनुमा अवैध निर्माण हो रहा है । उससे आगे झड़ीपानी बस्ती से 200 मीटर पहले एक विशाल खोखा गाड़ दिया गया है। गत दिनों ‘लोकरत्न हिमालय’ द्वारा खबर छापने के बाद तमाम विभाग हरकत में आए और बताया जा रहा है कि यह अतिक्रमण और अवैध निर्माण किसी माफिया द्वारा नहीं बल्कि हवाघर के नाम पर स्वयं मसूरी नगर पालिका और उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग द्वारा सयुक्त रूप से किया जा रहा है । हैरत तो यह कि यदि कथित हवाघर निर्माण विधि विधान से किया जा रहा है तो माफियों की तरह रात के अंधरे में यहाॅ क्यों निर्माण सामग्री डाली गई और क्यों चोरी छिपे कच्चे व जर्जर हो चुके पुश्ते में लोहे के पाइप गाड़ दिए गए । Watch video –
ताज्जुब यह भी है कि जब डीएम के आदेश पर अभी झड़ीपानी की रोड़ निर्माणाधीन है तो ऐसी क्या आफत आई कि कोल्हूखेत से भारी खराब रोड़ पर माल वाहन चालकों व मजदूरों की जान की फिक्र किए बगैर भारी भरकम लोहे की सामग्री यहाॅ पंहुचवायी गई । और अब छुप छुपकर खोखा निर्माण किया जा रहा है। क्योंकि दिन में जब भी यह सम्पादक मौके पर गया तो वहां ढ़ाचा बना रहे लोग कहीं नजर नहीं आए। पूर्व समाचार छापे जाने तक मसूरी ईओ तनवीर मारवाह को भी पता नहीं था कि यह खोखा किसका बन रहा है । मगर गत दिवस इस सम्पादक को उन्होंने बताया कि पर्यटन विभाग से आए पैंसे से उक्त दोनों निर्माण पालिका द्वारा किए जा रहे हैं । मगर श्री मारवाह उक्त निर्माणों का एमडीडीए से मानचित्र स्वीकृति तथा एनजीटी मानकों की बात यह कहकर टाल गए कि फाइल देखकर बताता हूॅ मगर वे वार्ता के अगले दिन तक भी कोई जानकारी नहीं दे सके ।
पाठकों को बताते चलें कि वर्ष 2020- 2021 में शासनादेश संख्या- 1937/Ⅵ/ (1)/2020-03(44)/2020 दिनाॅक 14 दिसम्बर 2020 राजपुर रोड़ देहरादून मसूरी ट्रेंिकग मार्ग का विकास/ एवं सौन्दर्यीकरण की एक वार्षिक योजना के तहत लगभग 80 लाख रूपए स्वीकृत किये गए थे जिसमें से प्रथम किस्त के रूप में दिसम्बर 2020 में पालिका को 30 लाख भुगतान कर दिए गए थे। जिला पर्यटन विकास अधिकारी सीमा नौटियाल ने उक्त कार्य की ज्यादा जानकारी होने से मना कर दिया । हालांकि उन्होंने यह बताया कि राजपुर ओल्ड टोल पर बने रहे द्वीमंजिला इंटप्रेटर सेंटर और कैफे बनाने और उसे पीपीपी मोड पर दिए जाने का प्लान पूर्व में पालिका द्वारा रखा गया था ।
इस बारे में प्रोजैक्ट अधिकारी और अपर निदेशक पर्यटन मैडम पूनम ने इतना ही बताया कि उक्त रोड़ के सौन्दर्यीकरण हेतु पर्यटन विभाग मसूरी नगर पालिका को अब तक 80 लाख रूपए आवंटित कर चुका है । मैडम पूनम के अनुसार राजपुर ओल्ड टोल पर एक इंटरप्रेटर सेंटर एवं कैफे बन रहा है। उक्त इंटरप्रेटर सेंटर एवं कैफे का क्या डीजायन है तथा क्या एमडीडीए से मानचित्र स्वीकृत है तथा क्या वन अधिनियम 1980 और एनजीटी के मानकों के अनुरूप है इन सवालों के जवाब में मैडम पूनम इतना ही कहती हैं कि यह काम देखना मसूरी नगर पालिका का जिम्मा है और फोन काट देती हैं।
मानचित्र स्वीकृति और एनजीटी मानकों को पूरा करने की बात एमडीडीए के क्षेत्रीय ए0ई0 शैलेन्द्र रावत से फोन पर वार्ता हुई तो उन्होंने मामले की जांच करने की बात कही । उधर डीएफओ वन विभाग मसूरी अमित कुंवर को भी वहाट्सअप मैसेज भेजा गया मगर उनका सीधे इस सम्पादक को तो कोई फोन नहीं आया मगर उनको भेजे मैसेज का हवाला देते हुए वन विभाग रायपुर रेंज से किसी महिला फाॅरेस्टर गार्ड का फोन जरूर इस सम्पादक को आता है तथा उनके द्वारा उक्त निर्माण की अनुमति सम्बन्धि दस्तावेज की जांच कर बताने की बात कही जाती है, अब देखते हैं कब तक उनका पक्ष आता है। मगर अब तक किसी के द्वारा भी सही जानकारी न दे पाना और चोरी छिपे कार्य किये जाने से तो यही शक पैदा होता है कि कहीं ट्रैक रूट सौंन्दर्यीकरण के नाम पर यह 80 लाख रूपए ठिकाने लगाने तथा पीपीपी मोड़ पर इस ऐतिहासिक रोड़ का बर्बाद करने का खेल तो न चल रहा है ।
याद दिलाते चलें कि ट्रैकिंग के रूप में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह पंसदीदा रूट है । वे मुख्यमंत्री बनने के पहले से इस रूट पर भ्रमण करते रहे हैं । हाल में वे अपने परिवार सहित इस रोड़ पर ट्रैकिंग करने आए थे । इस सम्पादक से बात करते हुए मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा था कि इस ट्रैकिंग रोड़ पर कुछ मूलभूत सुविधाएं विकसित करने हेतु एक कार्ययोजना बनाएंगे । रोड़ पर कंक्रीट का कोई कार्य नहीं होगा और इसका प्राकृतिक स्वरूप बनाते हुए पत्थरों और मिट्टी के एक निश्चित दूरी पर कुछ विश्राम स्थल बनेंगे ताकि ट्रैकिंग करने वाले लोगों को सुस्ताने, पानी पीनें और शौचालय आदि की व्यवस्था उपलब्ध हो सके । मगर यहाॅ देखा जा सकता है कि सरकारी विभाग किस प्रकार मुख्यमंत्री तक के ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता लगाकर धन और कानून का दुरूपयोग कर रहे हैं । अब देखते हैं इस रिपोर्ट छपने के बाद कौन विभाग जागता है कौन नहीं ।
उधर स्थानीय निवासी संस्कृतिकर्मी और राज्य आन्दोलनकारी प्रदीप भण्डारी ने बताया कि वे झड़ीपानी ट्रैकिंग रूट को बहुत प्यार करते हैं । हमारे पास मसूरी में एक मात्र यही एक ऐसी ट्रैकिंग रूट बची है जो प्रकृति के मध्य है । जहाॅ जंगली हिरन, काखड़, मुर्गे, बाघ और सैकड़ों प्रजाति की पक्षियां देखने और उनके मधुर स्वर सुनने को मिलते हैं । साथ ही प्रकृति के शौकीन लोगों को शांत वातावरण मिलता है । इस रूट से मसूरी का अपने जन्म से ऐतिहासिक रिश्ता है । यहाॅ देश प्रदेश के सैकड़ों विद्यार्थी ट्रैकिंग के लिए आते हैं । इस रोड़ को किसी भी कीमत पर बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा । कंकरीट का जंगल नहीं बनने दिया जाएगा ।