पालिका का भ्रष्टाचार , मसूरी झूलाघर का अवैध रेस्टोंरेंट, रोपवे, मसूरी झील तथा दूसरे मुद्दे भी हमारे रडार पर – काला

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Lalit mohan kala

मसूरी । गत 5 वर्षों में मसूरी नगर पालिका में हुए भ्रष्टाचार को निरन्तर सार्वजनिक करने पर मसूरी वासियों ने ‘लोकरत्न हिमालय’ की सराहना की है । मसूरी हितैषी अनेक सम्मानित नागरिकों ने लोकरत्न हिमालय’ के सम्पादक प्रदीप भण्डारी को व्यक्तिगत मिलकर तो अनेक लोगों ने फोन करके और व्हाट्सएप्प पर मैसेज भेजकर बधाई दी ।
प्रसिद्व शिक्षाविद्, जागरूक समाजसेवी एवं मसूरी नगर पालिका के भ्रष्टाचार को शासन प्रशासन एवं हाईकोर्ट तक पंहचाने वाले निडर एवं निर्भीक टिप्पणीकार पूर्व प्रधानाध्यापक ललित मोहन काला ने भी सम्पादक को अपना व्हाट्सएप्प मैसेज भेजा है ।
अपने मैसेज में श्री काला ने लिखा है कि निवर्तमान पालिका बोर्ड में पालिका अध्यक्ष के नेतृत्व में पालिका परिषद में गम्भीर अनियमितताओं व घोटालों की आवाज समय-समय पर उठती रही हैं । लेकिन राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों तथा सत्ता पार्टी के नेताओं के संरक्षण के आरोप भी चर्चाओं में रहें हैं । इन सबकी मेहरबानी से नगर पालिका अध्यक्ष व बोर्ड पालिका कार्यकाल में बचते/ बचाते रहे हैं। अन्ततः अगस्त/23 में शहरी विकास निदेशालय की टीम द्वारा कुछ शिकायतों की जांच के बाद अध्यक्ष सहित जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस देकर जबाब मांगा गया ।
अपनी ’पारदर्शी प्रक्रिया’ के चलते जांच के 11 माह बाद जुलाई /24 में उत्तराखंड सरकार के शहरी विकास सचिव ने पालिका अध्यक्ष, अधिशासी अधिकारी तथा अन्य अधिकारियों/ कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है । इसी कारवाई के चलते पालिका एक्ट में संशोधन कर निवर्तमान पालिका अध्यक्ष के 5 वर्षों के लिए निकाय चुनाव लडने पर रोक लगाई गई है। जबकि अधिशासी अधिकारी राजेश नैथानी को पिथौरागढ़ भेज दिया है । निवर्तमान पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता शासनादेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय नैनीताल से स्टे ऑर्डर ले आये । लेकिन अभी तक इस कारवाई / निर्णय पर कोई फैसला नहीं हो पाया है । केस 1992/24 हाईकोर्ट में लम्बित है । जब भी फैसला आयेगा वह कार्यान्वित होगा । सरकार के फैसले की ’तलवार’ लटकी है। लड़ाई जारी रखेंगे । इसके अलावा हाईकोर्ट में पीआईएल सहित अन्य याचिकायें भी पालिका अध्यक्ष व बोर्ड के विरुद्ध लम्बित हैं । मसूरी में चुनावी शोरगुल के बीच भ्रष्ट्राचार व पालिका सम्पत्तियों की खुर्द -बुर्द के आरोपी के भविष्य को आंकलन की जरुरत है ।
उन्होनंे यह भी लिखा कि झूलाघर के हवाघर को तोड कर उसकी जगह अवैध निर्माण से रेस्टोरेंट बना दिया गया है । इसमें तत्कालीन कमिश्नर की भूमिका संदेहास्पद है। यह प्रकरण भी उच्च न्यायालय में ले जाया जायेगा । रोपवे , मसूरी झील तथा दूसरे मुद्दे भी हमारे रडार पर हैं। लेकिन मसूरी में जागरुक नागरिकों व निस्वार्थी नेताओं की प्रतिबद्धिता की परख की कसोटी प्रतिक्षित है।

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