कर्मठ, योग्यता और इमानदारी पर अब वोट नहीं पड़ते मित्रों ? उलट आगे
मसूरी । सिंबल आवंटित हो जाने के बाद प्रदेशभर में नगर निकायों के उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार अब धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा है । अब बाजार की सड़कों पर बैनरों, प्रचारकों के हाथ में हैंडकार्ड के अतरिक्त सोशियल मीडिया और व्हाट्सअप आदि पर प्रत्याशियों की वोट अपील छाने लगी है। एक काॅमन से स्लोगन लगभग हर बैनर, हैंडबिल पर नज़र आ रहे हैं ‘कर्मठ, सुयोग्य, इमानदार’।
मगर लोकरत्न हिमालया समाचार उन भले उम्मीदवारों से कहना चाहता है कि कर्मठ, योग्यता और इमानदारी के बलबूत आपको वोट मिल जाएगें यह तो इस लेखक के लम्बे अनुभवों के आधार पर तो संभव नहीं लगता । हमने तो श्रेष्ठता, योग्यता, इमानदारी से कार्य तथा सच बोलने वालों से लोगों को कन्नी काटते हुए देखा है । अब झूठ, फरेब, मक्कारी, चाटुकारिता और जनहित नहीं स्वहित (स्वार्थी ) वालों का जमाना है दोस्तों । अनेक वोटर भी ऐसे ही नेताओं और उम्मीदवारों के पीछे भागते हैं। अतः हमारी सलाह है कि कर्मठता, योग्यता और इमानदारी के भरोंसे मत रहिएगा । मुझे तो अब योग्य उम्मीदवार की परिभाषा ठीक इसके उलट ज्यादा फिट लगती है । और सामाजिक कार्य करना या सामाजिक होने की तो बिल्कुल भी जरूरत नहीं लगती है शायद । अगर ऐसा न होता तो बड़ी संख्या में आपको वे लोग चुनाव मैदान में नज़र न आते जो देश प्रदेश तो छोड़ो अपने मोहल्ले में आए किसी बुरे वक्त में भी खड़े नज़र नहीं आते । जो कभी किसी जरूरतमंद को खून देना तो छोड़िए जनाब, कोरोना काल में कहीं खड़े नज़र भी छोड़िए जनाब, उम्मीदवारों की बड़ी फौज में अनेक चेहरे कभी भी आपको राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी या उत्तराखण्ड शहीद दिवस के अवसर पर भी नज़र नहीं आते। (एक व्यंग्यात्मक सच)
तभी कहता हूॅ दोस्तों पुराने समय में पालिका सभासद या अध्यक्ष पद के लिए एक योग्य उम्मीदवार की पहचान होती थी उसका सामाजिक योगदान और इमानदार होना । मगर क्या आपको भी आज इसका उलट नहीं लगता । क्या सचमुच आज के वक्त में एक योग्य प्रत्याशी की परिभाषा कर्मठ, योग्यता और इमानदारी के ठीक उलट हो गयी है ? इसका जवाब मैं आप लोगों पर छोड़ता हूॅ , सोचिए जरा । और मसूरी तथा प्रदेश को एक अच्छा भविष्य दीजिए ।