मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष पद एससी महिला के लिए आरक्षित करने की मांग, सविंधान एवं चक्रानुक्रम व्यवस्था का हवाला।

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मसूरी। एक तरफ जहाँ मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित करने पर घमासान मचा हुआ है और कुछ लोगों की हाईकोर्ट जाने की तैयारी करने की सूचना है वहीं निदेशक शहरी विकास उत्तराखंड के यहाँ भी निरन्तर आपत्तियां पहुँच रही हैं । मगर आपत्ति के क्रम मसूरी से एक नागरिक का एक ऐसा पत्र भी निदेशक शहरी विकास को भेजा गया है जिसमें मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष की सीट सविंधान की मूल भावना (समाज के हरएक वर्ग को समान अवसर देना ) एवं चक्रानुक्रम व्यवस्था के आधार पर एससी महिला या सामान्य महिला के लिए आरक्षित करने की मांग की गई है।
निदेशक शहरी विकास को लिखे पत्र में कहा गया है कि आपके द्वारा दिनाॅक 14 या 15 दिसम्बर 2024 को समाचार पत्रों में प्रकाशित नगर निकायों के आरक्षण सम्बन्धि सूचना का अवलोकन करें । जिसमें नगर पालिका परिषद मसूरी के अध्यक्ष पद को ओबीसी महिला के लिए आरक्षित प्रस्तावित किया गया है । यह आरक्षण सवैंधानिक और चक्रानुक्रम व्यवस्था के खिलाफ है, अतः जिस पर मैं अपनी आपत्ती दर्ज करता हूॅ।
मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष पद का यह आरक्षण बिना ओबीसी सर्वेक्षण किए गए ही थोपा गया प्रतीत होता है क्योंकि मानकों के हिसाब से मसूरी में ओबीसी आबादी कम है और बड़ी आबादी एससी एसटी तथा सामान्य महिला की है जिसकी अनदेखी की गई है। अध्यक्ष पद चक्रानुक्रम व्यवस्था में मसूरी पालिका अध्यक्ष पद पर एससी एसटी का अधिकार बनता है । इस प्रकार मौजूदा प्रस्तावित आरक्षण चक्रानुक्रम व्यवस्था तथा संवैधानिक मानकों के खिलाफ है। क्योंकि भारत देश के सभी प्रदेशों की हर निकाय में समाज के सभी वर्गों को समान अवसर देने के महान लक्ष्य से चक्रानुक्रम प्रक्रिया के तहत आरक्षण प्रदान किया जाता है। जिसमें सर्व प्रथम महिला एससी, महिला एसटी, फिर एससी के लिए आरक्षण पूर्ण होने के बाद ही अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) महिला के लिए सीट आरक्षति की जा सकती है । उसके बाद ओबीसी सामान्य तथा महिला आरक्षण लागू होता है और सबसे बाद में सीट सामान्य होती है ।
मगर इस बार उत्तराखण्ड नगर पालिका निर्वाचन में आरक्षण दोषपूर्ण है । मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष पद पर इस सवैंधानिक तथा चक्रानुक्रम व्यवस्था की पूर्ण अनदेखी नज़र आ रही है । मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष पद को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) महिला के लिए आरक्षित प्रस्तावित किया गया है जो कि चक्रानुक्रम प्रक्रिया एवं संविधान की मूल भावना के विपरीत है । गौर करें कि मसूरी में बिना ज़मीनी सर्वे किए ही मनमाने रूप से अन्य पिछड़ा जाति महिला आरक्षण घोषित कर दिया गया। क्योंकि 2011 के बाद जणगणना न होने के कारण वैधानिक रूप से मसूरी में ओबीसी आबादी मूल रूप से बहुत कम अर्थात 4.2 प्रतिशत ही नज़र आ रही है। इसके अलावा अनेक ओबीसी परिवारों के सभी सदस्य ओबीसी के दायरे में नहीं आते । इस प्रकार मसूरी में आबादी के हिसाब से किसी वार्ड में तो ओबीसी आरक्षण लागू हो सकता है मगर अध्यक्ष पद पर नहीं । क्योंकि आबादी के हिसाब से आरक्षण लागू करना है तो इस हिसाब से मसूरी में कई ज्यादा अनुकूल आबादी एससी वर्ग या महिला वर्ग की है ।
पत्र में मांग की गई है कि संविधान की मूल भावना एवं रोटेशन व्यवस्था को जीवित करते हुए मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष पद को आबादी के अनुपात में महिला एससी या सिर्फ महिला आरिक्षत किया जाय । इस प्रकार सबको समान अवसर प्रदान करने से आधी आबादी और उत्तराखण्ड राज्य निर्माण में बलिदान देने वाली मातृशक्ति का सम्मान भी होगा ।

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