मसूरी रोपवे और कोल्हूखेत टोल में पूर्व पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता और अधिकारियों पर पालिका को 868.10 लाख का चूना लगाने का जांच रिपोर्ट में खुलासा, पक्ष विपक्ष की खामोशी का राज क्या?
मसूरी । मसूरी रोपवे और कोल्हूखेत टोल संचालन में मसूरी नगर पालिका के तत्कालीन अध्यक्ष अनुज गुप्ता और वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से नगर पालिका को वर्ष 2019-20 से 2022-23 तक रूपए 868.10 लाख रूपए का चूना (वित्तीय हानि) लगाया गया । इस बात का शासन द्वारा गठित जांच समिति द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट में खुलासा किया गया है। अब सनसनी ये नहीं है कि मसूरी पालिका को 868.10 लाख रूपए का चूना लगा, सनसनी यह कि अब नगर पालिका चुनाव होने वाले हैं ऐसे में जनता को जहाॅ अपने चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर आयी जांच रिपोर्ट का पता लगना जरूरी है वहीं मसूरी जैसे छोटे से शहर में इतना बड़ा घोटाला हो जाना और पक्ष विपक्ष (भाजपा- कांगे्रस व अन्य) का इस घोटाले पर खामोशी बतरना असली रहस्य असली सनसनी है ।
आखिर इतनी खामोशी क्यों भाई । अगर शासन के आदेश पर गठित जांच कमेठी ने गलत रिपोर्ट दी है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ हल्लाबोल क्यों नहीं । और अगर रिपोर्ट सही है तो दोषियों के विरूद्व कानूनी कार्यवाही के लिए हल्लाबोल क्यों नहीं । आखिर क्या राज है कि शासन के अधिकारियों ने एक वर्ष से भी अधिक समय से मसूरी पालिका की हुई 868.10 लाख के वित्तीय हानि की रिपोर्ट दबा कर रखी हुई है । क्यों नहीं आज तक कथित घोटालेबाजों के खिलाफ कार्यवाही और धन वसूली की कार्यवाही हुई ।
सम्मानित पाठकों, क्योंकि शासन द्वारा गठित जांच कमेठी ने अपने ‘निष्कर्ष’ में स्पष्ट लिखा है कि किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पंहुचाने के उद्देश्य से नगर पालिका कोष को वित्तीय हानि उठायी गई । जिसके लिए पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता, अधिशासी अधिकारी उपेन्द्र दत्त तिवारी, राजेश नैथाणी और अन्य अधिकारी जिम्मेदार हैं ।
देखें पढ़ें उपरोक्त मामले में जांच शासन द्वारा कमेठी की वास्तविक निष्कर्ष रिपोर्ट –
निष्कर्ष–
निकाय द्वारा शासनादेश संख्या ई- 1 / 39187 / 2022 शहरी विकास अनुभाग-02 दिनांक 31 /05 / 2022 की शर्तानुसार प्रोजेक्ट की ईएफसी नही कराई है एव योजना की न्यूनतम स्वीकार्य धनराशि का सचिवों की समिति से अनुमोदित नही कराया गया है। इस प्रकार निकाय शासनादेश दिनांक 31-05-2022 द्वारा प्रदत्त स्वीकृति का पालन नहीं किया गया।
उक्त क्रमांक- 10 पर उपलब्ध विवरण से स्पष्ट है कि श्री नवीन अग्रवाल को ईको टैक्स व श्री राजेन्द्र बंगवाल को मसूरी रोपवे पर वित्तीय वर्ष 2020-21 व 2021-22 में लगातार कोई कर नही लगाया गया है, जबकि उक्त अवधि में कम्पनी गार्डन हेतु कोई छूट नही दी गयी है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में ईको टैक्स रू0 98.75 लाख निर्धारित किया गया है, जबकि 2019-20 में ईको टैक्स रू0 231.54 लाख निर्धारित था, जो कि पूर्व के वित्तीय वर्ष से 57 प्रतिशत न्यून है । मसूरी रोपवे में वर्ष 2019-20 के सापेक्ष 2022-23 में शुल्क यथावत रखा गया है। कम्पनी गार्डन में वर्ष 2019-20 से 2022-23 तक प्रत्येक वर्ष रु 2.20 लाख शुल्क निर्धारित कर वसूल किया गया है। इस सम्बन्ध में पालिका अभिलेखों में उपरोक्त व्यक्तियों को छूट दिये के सम्बन्ध में कोई आधार प्रस्तुत नहीं किया गया है। बिना आधार के छूट दिये जाने पर पालिका को ईको टैक्स पर रू0 463.08 लाख तथा मसूरी रोपवे पर कुल रू0 405.02 लाख, इस प्रकार उक्त दो वित्तीय वर्षो में कुल रू0 868.10 लाख की वित्तीय हानि हुई है। किसी विशेष व्यक्ति को 100 प्रतिशत छूट देना तथा कर निर्धारण / वसूली के लिए पृथक-पृथक मानक निर्धारण करना तार्किक नही है। उक्त से स्पष्ट होता है कि पालिका स्तर से एक ही पालिका में दो प्रकार के नियमों से कार्य किया गया है, तथा व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाते हुए वित्तीय हानि उठायी है ।
श्री राजेन्द्र प्रसाद बगवाल, ठेकेदार को मसूरी रोपवे पर निविदा आमंत्रण की तिथि तक मसूरी रोपवे की रू0 3,48,06,260.00 अवशेष देयता थी । निकाय द्वारा देयता होने के बावजूद श्री बगवाल को अदेयता प्रमाण पत्र देकर निविदा में सम्मिलित कर तकनीकी रूप से पात्र घोषित किया है, जो कि निविदा शर्तो का उल्लंघन है तथा व्यक्ति विशेष को निविदा में प्रतिभाग करने के उद्देश्य से लाभ पहुंचाया गया है।
तकनीकी निविदा में 04 निविदाये प्राप्त हुई, दो निविदाये अस्वीकृत की गयी परन्तु श्री राजेन्द्र प्रसाद बगवाल पर देयता होने के बावजूद भी तकनीकी रूप से असफल घोषित होने चाहिए थे तथा ऐसी स्थिति में मात्र एक ही सफल निविदा रह जाती है। एकल निविदा स्वीकृत करना उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली, 2017 की धारा 20 ( सोलह ) के प्राविधान का उल्लघन है।
निविदा शर्तानुसार निविदादाता को उत्तराखण्ड राज्य के किसी भी निकाय में न्यूनतम 2.00 करोड प्रतिवर्ष किसी भी प्रकार के शुल्क वसूली कार्य करने का तीन वर्ष का कार्यानुभव का प्रमाण पत्र होना चाहिए। जांच आख्या के उपरोक्त क्रमांक – 10 (तालिका) में प्रतिवर्ष निकाय में जमा धनराशि का विवरण अंकित है, जिससे स्पष्ट होता है कि किसी भी निविदादाता द्वारा रू0 2.00 करोड शुल्क / कर वसूली निकाय में जमा नही की गयी है, जबकि पालिका की पत्रावली में प्राप्त अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद, मसूरी द्वारा निर्गत अनुभव प्रमाण पत्र संख्या-874, दिनांक 08-07-2022 द्वारा श्री राजेन्द्र प्रसाद बंगवाल एवं संख्या-823, दिनांक 04-07-2022 द्वारा श्री नवीन अग्रवाल पुत्र स्व0 श्री ओम प्रकाश अग्रवाल को रू० 2.00 करोड़ से अधिक वसूली का प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है। इस प्रकार पालिका की मांग / वसूली पंजिका में उल्लिखित विवरण एवं पालिका द्वारा निर्गत अनुभव प्रमाण पत्र में परस्पर विरोधाभासी प्रतीत होते है। जिलाधिकारी देहरादून के पत्रांक- 583 दिनांक 23-12-2022 के अनुसार उपरोक्त प्रकरण की जाँच अपर जिलाधिकारी व कोषाधिकारी, देहरादून द्वारा की गयी। इसमें जिलाधिकारी देहरादून द्वारा आख्या प्रस्तुत की गयी कि “प्रश्नगत जांच के दौरान ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर प्रचलित शासनादेश तथा उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली की मूल भावना के अनुरूप कार्य नहीं किया गया है, जिसमे प्रथम दृष्टया राजस्व प्राप्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जो शिकायकर्ता का आरोप भी है। यदि शासनादेशों के अनुरूप निविदा प्रक्रिया के दौरान प्री-बिड मीटिंग करायी गयी होती तो अधिक प्रतिस्पर्धा एवं पूरी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होती, जिससे निविदा प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लगने की स्थिति उत्पन्न नहीं होती, जबकि ऐसा नही किया गया है। इस प्रकार शिकायतकर्ता द्वारा लगाये गये आरोपो की प्रथमदृष्टया पुष्टि होती है और निविदा प्रक्रिया दूषित पायी गयी है ” ( संलग्नक-8) |”
अतः जांच समिति का मन्तव्य है कि मसूरी नगर पालिका परिषद् के अन्तर्गत ईको शुल्क बैरियर की वसूली के ठेके की निविदा में हुयी उपरोक्त अनियमिताओं के लिये श्री अनुज गुप्ता, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद, मसूरी श्री उपेन्द्र दत्त तिवारी, तत्कालीन अधिशासी अधिकारी, श्री महावीर सिंह, टी०आई०, श्री गिरीश सेमवाल, प्र०टी०एस०, नगर पालिका परिषद्, मसूरी उत्तरदायी प्रतीत होते हैं तथा नगर पालिका परिषद्, मसूरी द्वारा उपलब्ध कराये गये पट्टाविलेख के अनुसार श्री राजेश नैथानी, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद्, मसूरी द्वारा पट्टाविलेख में प्रथम पक्ष के रूप में पट्टाविलेख सम्पादित किया गया है। अतः बिना पत्रावली के निरीक्षण किये एवं निविदा की शर्तो का परीक्षण किये उपरोक्त पट्टाविलेख सम्पादित करने हेतु श्री राजेश नैथानी, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद्, मसूरी उत्तरदायी प्रतीत होते हैं।
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