मसूरी पालिका अध्यक्षा श्रीमती सकलानी, ट्रिपल इंजन की सरकार में चुनौतियां भी ट्रिपल?

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Meera

मसूरी पालिका अध्यक्षा श्रीमती सकलानी, ट्रिपल इंजन की सरकार में चुनौतियां भी ट्रिपल?
मसूरी । बेशक कोई इस सच्चाई को नकार दे, मगर यह एक सत्य है कि मसूरी की नव निर्वाचित अध्यक्षा श्रीमती मीरा कैंतुरा सकलानी भाजपा की डबल इंजन सरकार द्वारा मसूरी के लिए किए गए किसी विकास कार्य के कारण नहीं बल्कि पूर्व पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता के प्रति मसूरी में व्याप्त भारी गुस्से के कारण जीती हैं । यह अनुज गुप्ता का ही असर था कि एक दूसरे को सांप नेवला कहने वाली भाजपा कांग्रेस एक हो गई और दोनों ही दलों के अधिकांश लोगों ने श्रीमती सकलानी को वोट किया ।
खैर, प्रदेश ही नहीं देश की प्रतिष्ठित नगर पालिका मसूरी की पहली ओबीसी महिला अध्यक्ष का ताज श्रीमती मीरा सकलानी के नाम सज गया हो मगर यह भी सच है कि यह ताज फूलों का कम और कांटों भरा ज्यादा है । इस लेखक का स्पष्ट मानना है कि किसी भी व्यक्ति का पहली बार अध्यक्ष बन जाना कोई बड़ी बात नहीं है । कोई भी कुशल, सभ्य और निर्वादित व्यक्ति किसी भी पद पर चुना जा सकता है । मगर असली कसौटी 5 साल बाद अगले चुनाव की होती है जब वही व्यक्ति या उसका समर्थित व्यक्ति उसी पद पर पुनः जीत कर आ जाय । और यह तभी संभव होगा जब उस सीट पर बैठा व्यक्ति जनपक्षयीय कार्य करेगा और उसके वही साथी उसके साथ 5 साल बाद भी उनके साथ नज़र आएं जो इस बार थे। श्रीमती सकलानी को इस कसौटी पर खरा उतरना होगा ।
श्रीमती सकलानी के समक्ष पर्यटन नगरी मसूरी के विकास एवं चुनौतियों की बात करूं तो इन पर 365 पन्नों की एक पूरी किताब लिखी जा सकती है । कथित ट्रिपल इंजन की सरकार में श्रीमती सकलानी के पास समस्यांए भी ट्रिपल हो गई हैं । क्योंकि अब ‘राज्य सरकार या कोई विभाग काम नहीं करने दे रहा है’ पालिका अध्यक्ष की बचाव की यह ढाल मसूरी में ट्रिपल इंजन की सरकार चुने जाते ही खत्म हो चुकी है । अब सभासदों ने काम नहीं करने दिया यह बहाना भी नहीं चलेगा । वैसे भी सुना है कि अनेक निर्दलीय सभासद भाजपा का दामन थाम सकते हैं। और श्रीमती सकलानी को निर्दलीय सभासदों को भाजपा में शामिल करवाना या अपने पाले में लाना उनकी राजनीतिक कुशलता की पहचान होगा । क्योंकि वर्तमान में लगभग 8 सभासद ऐसे हैं जिनमें से कुछ सीधे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर आए हैं और बाकी कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं। किसी भी प्रस्ताव को पास करने के लिए बहुमत चाहिए होता है जिसके लिए मसूरी पालिका बोर्ड में 8 या 7 सभासदों का समर्थन अनिवार्य चाहिए। पहली चुनौती श्रीमती सकलानी के पास विपक्षी सभासदों को अपने पक्ष में लाने की है । मेरी नज़र में बतौर पालिका अध्यक्षा श्रीमती सकलानी के पास अन्य प्रमुख चुनौतियां निम्न प्रकार है।
आवास की समस्या: सभी को ज्ञात होगा कि 3 दशक पूर्व तक मसूरी में आवास का नक्शा पास करने का अधिकार नगर पालिका के पास था । जो तत्कालीन राज्य सरकार ने विकास प्राधिकरण के नाम पर छीन लिया । मगर आज अधिकांश मसूरी में आम आदमी के आवास का नक्शा पास नहीं होता । ऐसे में अब मसूरी के जिन मूल निवासियों ने लुक छिपकर अपने मकान बना भी लिए उन सब पर एमडीडीए द्वारा चालान की कार्यवाही की गई है और डेट के नाम पर सब लोगों का वर्षों से उत्पीडन निरन्तर हो रहा है तथा उनकी क्षत पर ध्वस्तीकरण का पीला पंजा मंडरा रहा है । चालान के कारण ऐसे नागरिक अनेक विकास योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते।
आवास का नक्शा पास न होने एवं चालान का दोषी मुख्य रूप से मसूरी वन विभाग है, जिसने 20 वर्ष पुराने मा0 न्यायालय के आदेश के वावजूद मसूरी में वनभूमि का चिन्हींकरण कार्य पूरा नहीं करवाया है। जिस कारण मसूरी वासी वन टाइम सेटलमेंट योजना का लाभ भी नहीं ले सके । मसूरी विधायक गणेश जोशी भी पिछले 13 सालों में यह छोटा सा कार्य नहीं करा पाए । मगर क्योंकि अब मसूरी में ट्रिपल इंजन की सरकार है तो क्या श्रीमती सकलानी वन विभाग तथा सर्वे में शामिल अन्य विभागों पर प्रदेश सरकार स्तर से दवाब बनाकर यह कार्य पूरा करा पाएंगी?
नवनिर्वाचित मसूरी पालिका अध्यक्ष श्रीमती सकलानी के सम्मुख दूसरी बड़ी चुनौती मसूरी की हार्ट कहे जाने वाली माॅलरोड़ की शांति एवं गरिमा वापस लाने की है । क्या माॅल रोड़ से अनियंत्रित वाहनों का भार और शोर शराबा बंद हो पाएगा। पिछली पालिका ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश एवं आवास विकास के नियमों की हत्या कर रोपवे पर एक अवैध विशाल निर्माण कर न सिर्फ दून व्यू ढक दिया बल्कि एक अवैध रेस्टोंरेंट भी संचालित किया जा रहा है । इस अवैध होटल के निर्माण का विरोध काबीना मंत्री गणेश जोशी ने भी किया था । मगर क्या अब अध्यक्ष श्रीमती सकलानी इस अवैध निर्माण को ध्वस्त कराकर कानून का पालन करवा सकेंगी ।
चुनाव के दौरान पिछले दिनों मसूरी में यह बातें लोगों ने खूब चटकारे लगाकर कही कि विकास कार्यों के नाम पर मसूरी के सभासदों को एक मोटा कमीशन दिया जाता है । अगर यह सत्य तो क्या मीरा सकलानी इस कुप्रवृति पर रोक लगाने में सक्षम रहेंगी । पिछली बोर्ड में यह भी सामने आया कि सभासदों ने सार्वजनिक विकास की जगह अधिकांशतः अपने खास लोगों के घरों के पुश्ते बनाए, क्षतें, बाथरूम बनवाए तथा व्यक्तिगत कार्य किए । यहाॅ तक कि चुनावी रंजिश रखते हुए विरोधियों और पालिका कर्मचारियों के काम नहीं होने दिए । हम मसूरी को एक परिवार कहते हैं तो क्या ऐसे में श्रीमती सकलानी प्रतिद्वन्धियों को विरोधी की नजर से देखेंगी या सभी को एक भाव से देखेंगी ।
पिछली बोर्ड के भ्रष्टाचार की बात मुख्यमंत्री तक ने बड़े मंच से की । यह भी सही है कि पिछली पालिका ने कानून का पालन किए बगैर मनमर्जी से निर्माण कार्य किए, पालिका के करोड़ों रूपए बहाए । दुकानें, आफिस अपने खास चहेतों को नियम विरूद्व बांट दिए । मसूरी ट्राली और कोल्हूखेत बैरियर न सिर्फ नियम विरूद्व अपने पसन्द के लोगों को थमा दिए गए बल्कि मात्र इन दो ही मामलों में लगभग 868.10 लाख रूपए राजस्व का पालिका को चूना भी लगाया । क्या श्रीमती सकलानी इस राजस्व को दोषियों से वसूल कर पाएंगी । रोपवे रेस्टोंरेंट एवं मसूरी झील का अंवटन अवैध रूप से 15 से 30 साल तक के लिए कर दिया गया। एक प्रकार से मसूरी पालिका के ये सर्वाधिक राजस्व प्राप्ति के स्रोत साजिशन छीन लिए गए। एमपीजी कालेज की विवादित आवास भूमि और कालेज में नियुक्ति विवाद आदि ऐसे बहुत सारे मामले हैं जिन्हें श्रीमती सकलानी को निमय संगत करना होगा ।
एक सर्वाधिक बड़ा मुद्दा मसूरी शिफनकोर्ट से हटाए गए मजदूरों का है जिसे बसाने का वादा मसूरी विधायक एवं काबीना मंत्री गणेश जोशी ने कई बार किया मगर वादा नहीं निभाया । क्या श्रीमती सकलानी जायज परिवारों को छत दे पांएगी ? वैसे भी इस बार मजदूर संघ पदाधिकारियों ने श्रीमती सकलानी का समर्थन किया है ।
मसूरी में खेल एवं कला संस्कृति प्रतिभाओं को उभारना, खेल मैदान एवं पार्क बनाना । खट्टापानी, झड़ीपानी फाॅल एवं नए पर्यटन स्थलों को विकसित करना । लंढ़ौर सर्वे विभाग की बेकार पड़ी भूमि को पालिका अधिकार में लेकर लंढ़ौर को पर्यटन विकास से जोड़ना, भिलाड़ू खेल स्टेडियम, मसूरी टाउनहाल को पालिका अधिकार क्षेत्र में वापस लाना, झड़ीपानी में फर्जी गोशाला के स्थान पर बारातघर वापस लौटाना आदि आमजन से जुड़े प्रमुख मुद्दे हैं ।
उपरोक्त के अतरिक्त अन्य अनेक महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर फिर कभी लिखा जाएगा । किन्तु एक बार पुनः इस बात पर ध्यान केन्द्रित करना चाहूंगा कि पक्ष विपक्ष की खिचड़ी के बावजूद श्रीमती मीरा सकलानी की जीत का अंतर मात्र 315 वोट है । अब जिसके लिए कांग्रेस भाजपा एक हो गए हों, अपनी साख बचाने के लिए कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने राजनीति के सभी हथकंडे अपना दिए हों, मुख्यमंत्री तक को आना पड़ा हो मगर चुनाव की इस लड़ाई में जीत का अंतर मात्र 315 वोट होना बहुत खुश होने वाला तो बिल्कुल नहीं है। अब श्रीमती मीरा को पक्ष विपक्ष के लोगों के अलावा क्षेत्र के लोगों ने जो आस उन पर लगायी है उस पर भी खरा उतरना होगा। बहरहाल ‘लोकरत्न हिमालय’ तो श्रीमती सकलानी को अध्यक्ष चुने जाने पर बहुत बधाई देता है और यह कामना करता है कि वे विकास के ऐतिहासिक कार्य करें और एक कुशल अध्यक्षा साबित हों ।

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