आखिरकार मसूरी को मिली भस्मासुर के कहर से मुक्ति, झड़ीपानी बना ब्रह्मास्त्र, मगर राक्षसी धमकी अब भी जारी

मसूरी । बेशक अध्यक्ष पद के उम्मीदवार एक बड़ी प्रत्याशी को मसूरी हित की त्याग बेला पर अपने राजनैतिक हित की कुर्बानी देनी पड़ी हो मगर आखिरकार मसूरी से एक भस्मासुर का अंत हो ही गया। भस्मासुर बेशक अप्रत्यक्ष रूप से था पर सभी को नज़र आ रहा था । वह भस्मासुर जो दुर्भाग्यवश एक होनहार युवा के शरीर में कुछ वर्ष पहले घुस गया था । शायद अब भस्मासुर के अंत से उस यूवक का और मसूरी का भविष्य अच्छा हो जाय। कुलमिलाकर मसूरी के लिए अहितकारी हो चुके भस्मासुर को जहाॅ मसूरी की सम्पूर्ण जनता ने नकारा वहीं झड़ीपानी वार्ड वह पहला स्थान है जो भस्मासुर को हटाने के लिए ब्रह्मास्त्र की भूमिका में उतर आया और भस्मासुर के आधे से अधिक वोट साफ कर दिए ।
बिना कुछ काम किए हुए, बिना किसी क्षेत्रवासी को रोजगार दिए झड़ीपानी वार्ड के लोगों को अपना बंधुवा मजदूर समझने वाला भस्मासुर झड़ीपानी से उससे कई अधिक वोट कांग्रेस और भाजपा को पड़ने से बुसुध हुआ पड़ा है । तथा जैसे जैसे होश में आ रहा है वैसे वैसे झड़ीपानी के अनेक लोगों को वोट न देने और दूसरे उम्मीदवारों के साथ खड़े होने पर देख लेने की धमकी दे रहा है । दरअसल झड़ीपानी वार्ड क्षेत्र को अपनी बपौती समझने वाले भस्मासुर का गणित था कि झड़ीपानी वार्ड में पड़े 1042 वोट तो उसी के हैं तो उसे पुनः मसूरी को बर्बाद करने से रोक कौन सकता है?
यह बात है नगर पालिका परिषद मसूरी के एक पूर्व अध्यक्ष की है । जिसने नगर पालिका मसूरी में सभासद के तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक ‘एंग्री यंग मैंन’ की भूमिका में आकर मसूरी हितैषी लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया था । देवभूमि के महान लोगों ने तमाम तरह के किन्तु परन्तु को किनारे करते हुए मसूरी हित में निस्वार्थ भाव से उस युवा को अपना भरपूर आर्शिवाद दिया और उसे अध्यक्ष बनाकर मसूरी के इतिहास में एक असंभावी नया पन्ना जोड़ दिया कि पहाड़ियों का दिल सभी को प्यार करने वाला होता है।
मगर कुछ समय से ऐसा नज़र आता है कि अब वर्तमान की प्रदूषित हवाओं के कारण शायद सत्ता की कुर्सी का स्वभाव पूर्णतः कानून विरोधी एवं जनहित विरोधी बन गया है । इस कुर्सी पर बैठने वाले व्यक्ति को गलत लोगों से प्यार हो जाता और वह उन्हें अपना लेता है। पिछले कार्यकाल से तो यही नज़र आता है कि वर्तमान में कुर्सी का कार्य समाज सेवा नहीं बल्कि सिर्फ गलत रास्ते अपनाकर अपनी और अपने चाटुकारों की स्वसेवा करना ही महान कार्य बन गया है । एक मानुष को अमानुष बनाने के लिए कुछ चाटुकार और गुमराह करने वाले भ्रष्ट तत्वों की आवश्यकता होती है । जो कुकुरमुत्तों की तरह पैदा हो जाते हैं । वन मैन शो का रावणी घमंड ऐसा कि भस्मासुर के साथ कुछ अच्छे और समझदार लोग भी जुड़े थे मगर उसने उनकी रॉय को कभी तवज्जो नहीं दी।
ऐसा ही उस होनहार युवा के साथ हुआ । कुछ आत्माविहीन गिद् हमेशा सत्ता के चारों ओर मंडराते रहते हैं । नया जनप्रतिनिधि इनके लिए नया ग्राहक होता है । ऐसे ही लोगों ने उस युवा को घेर लिया । उसके दिमाग में भ्रष्टाचार का ज़हर घोल दिया जिससे वह उन्हीं टहनियों और जड़ों को काटता चला गया जिन टहनियों पर कदम टेककर पेड़ की टुख तक पहुंचा था । भस्मासुर ने जिन जिन लोगों से गुर ज्ञान लिया या आगे बढ़ने में जिस जिस से मदद मिली उन्हें ही जलाने या यूँ कहें मिटाने का कार्य किया। तथा गलत सलाहकारों को अपनाता चला गया । ऐसे गलत दोस्त उसे बर्बाद करने के लिए उसके गलत कार्यों को उसकी महानता बताते बताते उसे बहुत दूर गलत राह पर ले गए जहाॅ बाकी ने तो मजे लिए, धन प्रोपर्टी कमाई मगर वह युवा लम्बा फंस गया ।
ऐसे ही स्वार्थी गिद्दों और मंथुराओं का ही असर था कि वह युवा अपने मूल कार्यों को भूलकर कब एंग्री यंग मैंन से भस्मासुर बन गया शायद उसे भी पता नहीं चला । मगर ऐसे में भस्मासुर के जुल्म की आग से मसूरी धू धू कर खूब जली। उस युवा को उस पद पर बिठाने वाले ही लोगों के जीवन पर बन गई और उनसे उनकी रोजी रोटी छिन गई । हाल ही के चुनाव में भस्मासुर के कहर की हाहाकार मसूरी में हर तरफ सुनाई दे रही थी । ‘भस्मासुर से मुक्ति चाहिए थी’ ऐसा लगा जैसे यह आवाज मसूरी के हर तरफ से आ रही है । अब भस्मासुर दोबारा आया तो उसके अंतहीन कहर की आग से मसूरी तबाह हो जाएगी ऐसी कल्पना से पहाड़ों की रानी ‘मसूरी’ सिहर उठी । ऐसे में विष्णु जी वोट अवतार बनकर आए और मसूरी को भस्मासुर से मुक्ति दिलायी । यही नहीं भस्मासुर ने अपने जैसे कुछ छोटे भस्मासुर भी शहर में तैयार कर लिए थे जनता ने उन्हें भी घर बैठा दिया ।
यकीन मानिए इस भस्मासुर से मुक्ति दिलाने के लिए जिन लोगो ने अपने राजनैतिक हितों को भी मसूरी हित की भलाई के लिए कुर्बान कर दिया वे भी अपनी हार से ज्यादा स्वयं को जीता मान रहे हैं । जो लोग अनजाने में इस कलयुगी भस्मासुर को आर्शिवाद देकर पछता रहे थे वे भी अब मसूरी बचने की संभावना पर बहुत खुश नज़र आ रहे हैं। मगर यह एक दुखःद घटनाक्रम है काश अब कभी भी मसूरी में ऐसा कोई भस्मासुर पैदा न हो ।