मसूरी झील के ठेके में भी जमकर हुआ करोड़ों का घोटाला, अनुज गुप्ता बोर्ड क्यों रही करोड़ों के बकायेदार एक ठेकदार पर इतनी मेहरबान ! जॉंच हो। पढ़ें पूरी ख़बर.

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मसूरी । शासन – प्रशासन की जांच रिपोर्ट के अनुसार निवर्तमान पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता की बोर्ड ने मसूरी में भ्रष्टाचार, अनियमितता और वित्तीय घोटाले का ऐतिहासिक रिकार्ड दर्ज किया है। जिस भी मामले में देखो घोटाला ही घोटाला । करोड़ों की लागत वाले मसूरी झील एवं पार्किग के ठेके में हुई भारी अनियमितता के लिए भी जांच कमेठी की रिपोर्ट में अध्यक्ष अनुज गुप्ता और तत्कालीन अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हुई है ।
बात चाहे रोपवे की हो या मसूरी झील निविदा आवंटन इनमें एक खास बात यह सामने उभर कर आयी कि अनुज गुप्ता बोर्ड ने इन बड़ी आमदनी वाले ठेकों में न सिर्फ नियम – कानूनों का गला घोटा है बल्कि ठेकेदार राजेन्द्र प्रसाद बंगवाल पर करोड़ों की बकाया के बाद भी उनपर जबर्दस्त ढंग से मेहरबान रहे और उन्हें नियम विरूद्व उक्त दोनों ही ठेकों की निविदा में प्रतिभाग करने दिया गया । अनुज गुप्ता की अगुवाई वाली पालिका ने ठेकेदार राजेन्द्र प्रसाद बंगवाल को तब निविदा प्रतिभाग में शामिल कर दिया गया जब उन पर पालिका की करोड़ों रूपए की देनदारी बाकी थी जिस कारण वे निविदा प्रक्रिया में प्रतिभाग करने के अयोग्य थे । झील का ठेका राजेन्द्र प्रसाद बंगवाल को बावंटित करने के बाद भी उनके द्वारा नियमानुसार तीन दिन के भीतर ठेके की आधी राशि पालिका कोष में जमा करनी थी जो नहीं की गई । यही नहीं जब निविदा ठेकेदार के नाम हो गई उसके बाद झील के जीर्णोद्वार व पार्किग के नाम पर साढ़े 6 करोड़ रूपए का एक मनमाना प्रस्ताव बोर्ड से पास कर दिया गया । यह निर्माण मूल निविदा में शामिल नहीं था। गौर करने वाली बात यह है कि पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता द्वारा बोर्ड बैठक प्रस्ताव बुक में लिखा गया कि ’प्रवेश टिकट के लिए पच्चीस रुपये का शुल्क तय किया जाना है। क्योंकि जीर्णोद्धार कार्य किया जाना है और जीर्णोद्धार में लगभग एक वर्ष लगेगा। झील शुरू होने का समय 31 अक्टूबर, 2023 है। जीर्णोद्धार का सारा काम 30 अक्टूबर, 2023 तक पूरा हो जाना चाहिए। जीर्णोद्धार कार्य के लिए छह करोड़ पचास लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। बहुमत से मंजूरी दी गई’ । ….. अब इस प्रस्ताव या गलत टेण्डरिंग पर किसी सभासद ने कभी कोई आपत्ति जतायी या नहीं इसका उल्लेख नहीं मिला ।
जांच रिपोर्ट के अनुसार राजेन्द्र प्रसाद बंगवाल पर पालिका की 3.48 करोड़ की देयता बकाया होने के बावजूद उन्हें अदेयता प्रमाण पत्र देकर निविदा प्रकिया में प्रतिभागी बनाया गया और तकनीकि व वित्तीय निविदा में सफल घोषित करते हुए कार्य आवंटित किया गया जो वित्तीय अनियमितता है ।
यही नहीं पालिका अभिलेखों में ठेकेदार राजेन्द्र प्रसाद बंगवाल को 10 लाख रूपए झील की सफाई के नाम पर आंवटित हुए अंकित हैं, मगर जांच कमेठी को इस व्यय के निरीक्षण हेतु पत्रावली उपलब्ध नहीं करायी गई ।
कुल मिलाकर पालिका सम्पत्ति के दुरपयोग और पालिका कोष को नुकशान पंहुचाने के अनज गुप्ता के कार्यकाल में ऐसे मामलों की भरमार है । उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोेलनकारी प्रदीप भण्डारी ने बिजलेंस और सरकार से अनुज गुप्ता और राजेन्द्र प्रसाद बंगवाल के इस गठजोड़ की जांच करने की मांग की है ।
नोट – उपरोक्त समाचार के बारे में कोई भी सम्बन्धित व्यक्ति अपना पक्ष रखना चाहता है तो ‘लोकरत्न हिमालय‘ को इस मोबाईल नम्बर (8393011377) पर फोन कर दे सकता है । प्रकाशन योग्य होने पर उसे प्रकाशित किया जाएगा । संपादक।

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